मुख्यमंत्री से अधिक लोकप्रिय शहर विधायक…?
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प्रचार वाहनों पर विधायक को महत्व,मुख्यमंत्री को डाला हाशिए पर
रतलाम,16 नवंबर (इ खबरटुडे)। पूरे प्रदेश में भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लोकप्रियता के मामले में अव्वल हो,लेकिन रतलाम में ऐसा नहीं है। रतलाम में शहर विधायक चैतन्य काश्यप मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से अधिक लोकप्रिय है। इसे कोई माने ना माने,भाजपा के प्रचार अभियान से तो यही लगता है। शहर में घूम रहे भाजपा के प्रचार वाहनों पर लगे होर्डिंग्स में भाजपा प्रत्याशी के साथ सिर्फ शहर विधायक का फोटो लगाया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फोटो इतने छोटे है कि नजर ही नहीं आते।
रतलाम झाबुआ संसदीय क्षेत्र में रतलाम शहर और ग्रामीण सीटें भाजपा के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। स्वयं संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन कार्यकर्ताओं की बैठक में बोल चुके है कि भाजपा की जीत रतलाम पर निर्भर है। रतलाम शहर में भाजपा का प्रचार अभियान पूरी तरह शहर विधायक पर निर्भर है। भाजपा का केन्द्रीय चुनाव कार्यालय भी शहर विधायक के रंगोली भवन को ही बनाया गया है। प्रचार वाहनों से लेकर कार्यकर्ताओं की व्यवस्था और पूरा आर्थिक प्रबन्धन भी शहर विधायक के ही जिम्मे है। शहर विधायक के करीबियों का कहना है कि जब सारी व्यवस्थाएं उन्ही के जिम्मे हैं,तो फोटो भी तो उन्ही की लगेगी।
भाजपा द्वारा प्रकाशित प्रचार सामग्री में भी यही तरीका अपनाया गया है। प्रचार के लिए प्रकाशित रंगीन पैम्पलेट्स आदि में शहर विधायक चैतन्य काश्यप को ही प्रमुखता दी गई है। पैम्पलैट्स में तो एक जगह प्रधानमंत्री मोदी,मुख्यमंत्री शिवराज के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व प्रदेश अध्यक्ष नन्दकुमार सिंह के छोटे छोटे फोटो लगाए गए हैं। लेकिन शहर विधायक ने यहां भी अपनी स्टाइल दिखाने में कोई कसर नहीं छोटी। पार्टी की इस अपील में नगर की प्रथम नागरिक महापौर डॉ.सुनीता यार्दे को गायब कर दिया गया है।
हांलाकि भारी जोर शोर से चल रहे प्रचार अभियान के बावजूद भाजपा के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में चुनाव को लेकर उदासीनता का माहौल ही बना हुआ है। भाजपा के निर्वाचित पार्षद भी सिर्फ चुनाव कार्यालय में आकर अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं,लेकिन अपने वार्डों में उनकी सक्रियता कहीं नजर नहीं आती। शहर विधायक का आम कार्यकर्ता से सीधा संवाद नहीं होने और उनके हाइ प्रोफाइल इमेज के चलते,आम कार्यकर्ता और मतदाता में उनके प्रति नाराजगी का भाव भी रहता है।
भाजपा ने चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश भर के मंत्री,विधायक और नेताओं की फौज रतलाम में बुला ली है। अनेक मंत्रियों की सभाएं और अलग अलग मोहल्लों में जनसम्पर्क के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। प्रदेश भर से आए नेता चुनाव नतीजों क्या असर डाल पाएंगे,यह तो परिणाम बताएंगे,लेकिन यदि बिहार चुनाव पर नजर डाले तो लगता है कि यह व्यवस्था किसी काम नहीं आती। बिहार चुनाव में भाजपा ने देश भर के नेता मंत्रियों और विधायकों को तैनात कर दिया था। इसके बावजूद नतीजे उलटे आए। बाहर से आए बडे नेताओं की मौजूदगी का एक नुकसान यह भी है कि जिन कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्र में सक्रिय होना है,वे भी बडे नेता की नजदीकी पाने के चक्कर में अपना क्षेत्र छोडकर बडे नेता के आगे पीछे घूमते रहते है।
मतदान में अब केवल चार दिन शेष बचे है। शहर विधायक चैतन्य काश्यप का स्वयंकेन्द्रित चुनाव प्रचार भाजपा को कितना लाभ दिला पाता है? इसकी जानकारी तो अब परिणाम आने पर ही मिल पाएगी?